Saturday 28 April 2012

कोरडीनेशन कमिटी के पर्यासों से कपिल सिबल का रुख बदला! किशनगंज में एएमयू स्थापना का उर्दू संपादकों से परामर्श

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नई दिल्ली: "डूबते को तिनके का सहारा", ऐसा अब परस्तावित किशनगंज में एएमयू कैम्पस को लेकर भी प्रतीत हो रहा है! कांग्रेस की देखरेख में चल रही केंद्र में यूपीए की सरकार की अनदेखी की वजह से किशनगंज में एएमयू कैम्पस का भविष्य अधर में लटका नज़र आ रहा है! करीब चार महीने पहले बिहार सरकार के द्वारा २२४.०२ एकड़ भूमि एएमयू को दिए जाने के बाद भी केंद्र सरकार ने कोई क़दम नहीं उठाया है! एएमयू किशनगंज मामले को लेकर गंभीर रूप से काम कर रही गैर राजनितिक समूह एएमयू कोरडीनेशन कमिटी ने कांग्रेस के महाध्यक्ष सोनिया गाँधी और अन्य दिग्गज नेताओं कपिल सिबल, सलमान खुर्शीद और ओस्कार फरनानडिस से पिछले महीने  भेंट की और सबका ध्यान आकर्षित करवाया! हिंदी और उर्दू के प्रमुख समाचार पत्रों के अलावा अंग्रेजी के कई वेबसाइट ने एएमयू कोरडीनेशन कमिटी के पर्यासों को विस्तार से पर्काशित किया! 



शुक्रवार (अप्रैल २७, २०१२) को एएमयू कोरडीनेशन कमिटी के कनवेनर मोहम्मद असलम और खालिद मुबश्शिर को उर्दू समाचार पत्रों के  संपादकों से दिल्ली के बटला हाउस में एक कार्यकर्म में मिले! एएमयू कोरडीनेशन कमिटी के सदस्यों को बात-चित के दौरान पता चला के उर्दू के संपादकगण  मानव संसाधन मंत्री कपिल सिबल से रात्रि में भेंट करेंगे! कमिटी के सदस्यों  ने रोजनामा सहारा के संपादक असद रज़ा से अनुरोध किया किया की वोह मानव संसाधन मंत्री कपिल सिबल से एएमयू किशनगंज के लंबित मामले को शीघ्र ही सुलझाने की बात करें! असद रज़ा के अलावा दुसरे संपादकों ने भी परामर्श किया के वोह कपिल सिबल पर एएमयू किशनगंज मुद्दे पर बात करेंगे!

रात्रि में संपादकगण असद रज़ा (रोजनामा सहारा), खालिद अनवर (हमारा समाज), शकील शमशी (इंक़लाब) और वसिमुल हक (अखबारे मशरिक) अपने तय समय पर कपिल सिबल पर उनके बंगले पर मिले! बात-चित के दौरान  मानव संसाधन मंत्री ने कहा के  एएमयू किशनगंज मामले को लेकर कोई अनदेखी नहीं की जा रही है, और इस सिलसिले में करवाई की जा रही है! कपिल सिबल ने कहा की उनकी सर कार अल्प संख्यकों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और  एएमयू किशनगंज मुद्दे के अलावा दुसरे अन्य मामले भी जल्द सुलझा लिए जायेंगे! गौरतलब हो की मानव संसाधन मंत्री कपिल सिबल ने पिछले महीने एएमयू कोरडीनेशन कमिटी से भेंट में किशनगंज में एएमयू की स्थापना के शीघ्र निबटारे से मना कर दिया था, लेकिन उर्दू संपादकगण से भेंट में उन्होंने अपना रवय्या बदल लिया! 

इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता के एएमयू कोरडीनेशन कमिटी के लगातार पर्यासों की वजह से मानव संसाधन मंत्री ने अपना रवय्या बदला है, लेकिन जब तक राष्ट्रपति का अनुमोदन ने मिलता कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी! केंद्र सरकार को  एएमयू किशनगंज मुद्दे का जल्द से जल्द निबटारा करना चाहिए, वरना बिहार का सीमांचल इलाका वर्षों तक पिछड़ा रह जायेगा! 
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