Saturday 14 January 2012

स्थापना दिवस विशेष! मैं किशनगंज हूँ! मेरी आशा, मेरा गर्व, नई पीढ़ी है

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किशनगंज के स्थापना दिवस १४ जनवरी पर  विशेष लेख 

हिंदी जानने वाले भाइयों / बहनों के लिए अनुपम भेंट!

मैं किशनगंज हूँ! अंग्रेजी में कहें तोह "I am Kishanganj, ! जी हाँ वही किशनगंज जिससे आप बेहद प्रेम करते हैं, वही किशनगंज जो आपका निवास स्थल है और आपकी पहचान है! आप में से अधिकतर लोगों ने मुझे स्वर्ग कहा है और मुझे "भगवान् का घर" कह कर भी संबोधित करते हैं! मैं आप सब का ऐसे महतवपूर्ण और सनेह से भरपूर शब्दों का इस्तेमाल मेरे सन्दर्भ में करने के लिए आभारी हूँ! मैं अपने को देश का सबसे ज्यादा भेदभाव रहित और भाई चरगी और सोहार्द से भरपूर इलाका मानती हूँ! अगर में ग़लत नहीं हूँ तो मुझे यह कहने में कतई हिचकिचाहट नहीं है की भारत की ५००० साल से भी ज्यादा पुरानी संस्कृति और इतिहास की बेहतरीन झलक किशनगंज में ही मिलती है!



१४ जनवरी मेरा जनम दिवस है! उम्मीद है आप सबको पता होगा की मेरी स्थापना आज से करीब २ दसक पूर्व १४ जनवरी १९९० को हुआ था! उस वक़्त नेतागण, बुद्धजीवी, समाज सेवी, पत्रकार और आम जनता की कोशिशों से मुझे पुर्नीया जिले के एक सबडीवीजन से एक जिले का दर्जा मिला! आज जब जिले में हर तरफ मेरे जन्मदिन / स्थापना दिवस को मनाने की तैयार जोड़ वो शोर से चल रही है, मैं आप सबको अपने अतीत के बारे में बताना चाहती हूँ!

मेरी जिले के रूप में पहचान से पहले मैंने सबडीवीजन के रूप में कई संघर्ष देखे हैं! खास करके ६० और ७० के दशक में मुझे बिहार से अलग करके पश्चिम बंगाल में मिलाने की कोशिश की गयी! लेकिन मेरी प्यारी जनता ने हमेशा मेरा साथ दिया और मुझे बिहार से कोई अलग नहीं कर पाया! अगर अतीत के पन्नो में देखें तो मेरा सम्बन्ध मुग़ल साम्राज्य से भी रहा है! कुछ इतिहासकारों का कहना है के मेरा नाम नेपालगढ़, आलमगंज, कृष्ण कुञ्ज भी रहा है!

महत्पूर्ण बात यह है की मुझे आज अतीत से ज्याता अपने वर्तमान और भविष्य के बारे में बात करनी है! अगर सच बोलेन तो मुझे आज की दयनीय स्तिथि पर दशकों से अफ़सोस है! धरती पर मौजूद एक बेहद खुबसूरत स्थान होने के बावजूद मुझे यहाँ के नेतावों ने नकार दिया या धयान नहीं दिया! मैं शिक्षा,  रोजगार, संचार, सफाई और सेहत, बुनयादी सुविधाओं के अभाव में दिन और रात रोते रहती हूँ!

लेकीन इस ख़राब हालत के लिए सिर्फ नेता ही नहीं बल्कि नागरिक भी उतने ही जिम्मेदार हैं! हर किसी व्यस्क को निर्वाचन परकिरया में शामिल होने का मौक़ा मिल रहा है  लेकिन सहइ नेता का चुनाव कुछ पैसों और बहकावे में आने के कारन नहीं हो पाटा है! आप कुछ पैसों के बहकावे में आकर ग़लत नेता को चुनाव में विजय करवाते हैं, लेकिन इस में सारा नुकसान आम जनता का होता है! हताश होकर फिर आपको किसी नेता को चुनना होता है जो किसी काबिल नहीं है! इस नादानी से आपके वक़्त और पैसे की बर्बादी होती है!

बड़े दुःख के साथ कहना पर रहा है की आज भरसताचार की कीड़ा मेरे अन्दर समां गया है और मैं दलालों की पहली पसंद बन गयी हूँ! चाहे वोह सरकारी दफ्तर हो या फिर प्राइवेट जायदाद, या फिर ट्रेन टिकेट की बुकिंग हो या फिर समाज सेवा का कार्य, करप्शन ने हर तरफ अपने जाल फैला लिए हैं जो की किशनगंज की छवि को ख़राब कर रही हैं! अगर यह हालत कुछ दिन तक बनी रही तो किशनगंज का नाम भ्रस्त जगहों की लिस्ट में आएगा!

मुझे अपने ऐसी स्तिथि में शर्म आती है और यह डर है की कहीं हालत और न बिगड़ जाये! लेकिन मुझे अपने नौजवान लोगों पे भरोसा है की वोह महनत और अपने तेज़ दिमाग से मेरी हालत को सुधर सकते हैं! ऐसा इसलिए सभव है की आज के नौजवान ने शिक्षा में ध्यान दिया है जिसकी वजह से आज वे अपने पैरों पे खड़े हैं! चाहे वो एक डॉक्टर हों, इंजिनियर हों, मेनेजर हो या फिर पत्रकार, उनका ध्यान किशनगंज पर लगा रहता है और वोह मेरे भविष्य के बारे में अच्छा सोचते हैं! किशनगंज को उम्मीद है की यह नौजवान पीढ़ी हर तरह के मुश्किलों का सामना कर सकती है और मुझे एक नहीं पहचान पर्दान करा सकती है!

आज मेरे स्थापना दिवस के मौके पर मैं अपील करती हूँ की इस नौजवान पीढ़ी का साथ दें, इन्हें दुआ दें! अगर आप ऐसा करेंगे तोह बेशक मैं फिर एक उज्जवल भविष्य की कामंना  कर सकती हूँ और किशनगंज का 'क' केरल के 'क' से हसतानरित हो सकता है!

       

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